Subhas Chandra Bose

का जीवन बहुत ही संघर्ष भरा था उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। Subhas Chandra Bose जी की ये 126वी जयंती है। देश को स्वतंतर कराने में Subhas Chandra Bose जी ने अपना पूरा योगदान दिया है। नेता जी ने भारतीयों के दिलो में अपने लिए एक नया स्थान बना लिया था उन्होनेहर भारतीयों के दिलो में जोश भर दिया था। ” तूम मुझे खून तो मैं तुम्हे आजदी दूँगा ” का नारा हर भारतीयों को याद है यह नारा देने वाले Subhas Chandra Bose जी थे।

About Subhash Chandra Bose

आजाद हिन्द फौज की स्थापना करने वाले Subhas Chandra Bose थे। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से लड़ने के लिए अपने एक अलग फौज की स्थापना कर दी थी। उनका दिया हुआ नारा पुरे भारत में आग के जैसे फ़ैल गया था। नेता जी ने ब्रिटश सरकार की नाक में दम कर रखा था। नेता जी के फौज में जवान से लेकर बड़ी उम्र के सभी लोग शामिल थे। जो ब्रिटश साकार के नियमो का विरोध करने में लगे थे। नेता जी के नारे में पुरे देश भर के लोगो में जोश की आग लगा दी थी। नेता जी की बनाये हुए यह फौज देश की सबसे पहली फौज थी जो देश की आजादी के लिए और अपने हक़ के लिए पुरे जोश से ब्रिटश सरकार से लोहा लिया।

अलग विचारधारा :-

Subhas Chandra Bose जी की महात्मा गाँधी से बहुत अलग विचारधारा थी। जहाँ पर महात्मा गाँधी जी अहिंशा का रास्ता अपनाकर आजादी के लिए लड़ रहे थे तो उसकी जगह नेता जी ने हिंसा का रास्ता अपनाने का फैसला लिया। अंग्रेजो से लड़ने के लिए इसके लिए नेता जी ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की थी। नेता जी ने जब इस की स्थापना की उसके बाद वो अग्रेजो से लोहा लेने से कभी पीछे नहीं हटे। वो हमेशा सोचते थे की अहिंशा से कुछ मिलने वाला नहीं है इस लिए उन्होने हिंसा का रास्ता अपना कर अंग्रेजो की रातो की नींद हराम कर दी थी। जो आगे जाकर भारत को आजाद करने में बहुत ही लाभकारी साबित हुई।

जेल का सफर :-

आजदी की लड़ाई में जहाँ पर Netaji Subhas Chandra Bose जी ने अंग्रेजो के खिलाफ कदम उठाया था वहाँ पर नेता जी को उस दौरान बहुत बार जेल का सफर भी करना पड़ा। नेता जी 1921 से 1941 के बीच नेता जी 11 बार जेल गए। जहाँ पर नेता जी को बहुत संघर्ष भी करना पड़ा। नेता जी ने अंग्रेजो के खिलाफ बहुत से नारे भी लगाए जिस से ब्रिटिश सरकार को उनके ऊपर गुस्सा आया और उनको बहुत सी रुकावटों का सामना भी करना पड़ा। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वे सोवियत संघ, जर्मनी और जापान भी गए और उन्होंने वहां अंग्रेजों के खिलाफ साथ दिया।

एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रवादी नेता, सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के संघर्ष के दौरान कई बार खुद को जेल में पाया।

एक महत्वपूर्ण उदाहरण 1940 के दशक की शुरुआत में था जब बोस ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारवादी दृष्टिकोण से असंतुष्ट होकर भारत की स्वतंत्रता को सुरक्षित करने के लिए और अधिक आक्रामक कदम उठाने का फैसला किया। उन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता की वकालत करने के लिए कांग्रेस के भीतर एक कट्टरपंथी गुट, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की।

1940 में, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, बोस को ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों और फॉरवर्ड ब्लॉक के साथ उनके जुड़ाव के कारण ब्रिटिश अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था। शुरुआत में उन्हें भारत में कैद किया गया, बाद में उन्होंने 1941 में एक साहसी पलायन का मंचन किया और विभिन्न देशों से होते हुए जर्मनी और फिर जापान पहुंचे। जापान में, उन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने के उद्देश्य से धुरी राष्ट्रों के साथ मिलकर भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) का गठन किया, जिसमें भारतीय युद्धबंदियों और नागरिकों को शामिल किया गया।

हालाँकि, 1945 में युद्ध ने एक मोड़ ले लिया और आईएनए के प्रयासों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बोस का स्वास्थ्य बिगड़ गया, और उनके भाग्य के बारे में परस्पर विरोधी रिपोर्टें हैं। आधिकारिक विवरण के अनुसार, 18 अगस्त, 1945 को टोक्यो की यात्रा के दौरान ताइवान में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। हालाँकि, विभिन्न षड्यंत्र सिद्धांत सामने आए, जिससे पता चला कि वह बच गया होगा और कुछ समय तक गुप्त रूप से रहा होगा।

भारत की आजादी के संघर्ष में सुभाष चंद्र बोस की भूमिका काफी प्रशंसा और विवाद का विषय बनी हुई है। जेल में बिताए उनके समय के साथ-साथ उनके बाद के कार्यों और नेतृत्व ने भारत के इतिहास और स्वतंत्रता की लड़ाई पर गहरा प्रभाव छोड़ा। उन्हें आज भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख व्यक्तियों में से एक के रूप में याद किया जाता है और भारतीयों द्वारा उन्हें प्यार से “नेताजी” (जिसका अर्थ है “सम्मानित नेता”) कहा जाता है।

विवाह :-

Netaji Subhas Chandra Bose जी एक बहुत ही अच्छे परिवार में पैदा हुए थे। नेता जी को आजादी की लड़ाई में लड़ते लड़ते एक अंग्रेजी लड़की से प्यार हो गया था जो की उनकी सेक्रेटरी थी। और आगे चलकर नेता जी ने उसके साथ विवाह कर लिया। नेता जी के साथ उनकी पत्नी एलनि ने भी नेता जी का साथ दिया। नेता जी का सबसे पहले देश के प्रति प्रेम था उसके बाद उनके लिए परिवार था। नेता जी की देश प्रेम की भावना से ही उनकी पत्नी प्रभवित थी।

नेता जी की उपाधि :-

Netaji Subhas Chandra Bose जी नाम से आप सभी अवगत है की नेता जी का असली नाम क्या है ? नेता जी का असली नाम सुभाष चंद्र बोस था। लेकिन उनको नेता जी की उपाधि सबसे बड़े तानाशाह ने दी थी जिसका नाम हिटलर था। नेता जी देश की आजादी के लिए हिटलर से मदद की लिए गए थे लेकिन उनको हिटलर ने मदद के लिए तो मना कर दिया था लेकिन उनको नेता जी नाम से पुकारकर उनको नेता जी के नाम की उपाधि दे दी थी। उसके बाद सुभाष चंद्र बोस जी को सभी नेता जी के नाम से जानने लगे थे।

मृत्यु :-

मन जाता है की Subhas Chandra Bose जी की मृत्यु एक जहाज दुर्घटना में हुई थी जो क्रेश हो गया था। उनकी मृत्यु का 18 August 1945 में होने का पता चलता हैं। उनकी मृत्यु के बाद उनकी की गए फौज की स्थापना की उमीदे भी खत्म होने लगी थी। लेकिन एक था जो उनकी मृत्यु के बाद भी उनको जिन्दा रखता है और सब उनको याद करते है वो है उनका देश के लिए अनत प्यार और उनका लोगो में भरा हुए जोश उनका दिया हुए नारा आज भी भारतीय लोगो में जोश की आग लगा देता है। जो उनको अन्नाये से लड़ने की शक्ति देता है। इंग्लिश में जानकारी के लिए विजिट करे :- Onlinetechnicalguru

निष्कर्ष :- 

आशा करते है आप सभी को नेता जी Subhas Chandra Bose के जीवन से बहुत अच्छी प्रेरणा मिली होगी और आप के दिलो में भी देश के लिए प्यार की भावना जागी होग। जय हिंदी :

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